यूनिटेक:
1661 करोड़ में लाइसेंस खरीदा। लगे हाथ 60 प्रतिशत हिस्सेदारी 6200 करोड़
रुपए में नार्वे की टेलीनॉर को बेच दिया। यानी चंद मिनटों में 4539 करोड़
का फायदा उठाया। कंपनी की कीमत बढ़कर 10,333 करोड़ हो गई।
टाटा: 1600 करोड़ में लाइसेंस लिया। 27.31 प्रतिशत हिस्सेदारी जापानी
कंपनी डोकोमो को 12,924 करोड़ में बेच दी। यानी बिना कुछ किए 11324 करोड़
का फायदा। कंपनी की कीमत भी बढ़कर 47,866 करोड़ रुपए हो गई।
स्वान: 1,537 करोड़ रुपए में लाइसेंस खरीदा। 45 प्रतिशत हिस्सा यूएई की
एतिसलात को 9,000 करोड़ में बेच दिया। इस तरह 7,463 करोड़ रुपए का मुनाफा
कमा लिया। स्वान (आरकॉम) की कीमत 20 हजार करोड़ रुपए हुई।
श्याम:
1,626.32 करोड़ में लाइसेंस खरीदा। रूसी कंपनी सिस्टेमा को 10 प्रतिशत
हिस्सेदारी 450 करोड़ में बेच दी। बाद में 17.14 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए
2,699 करोड़ रुपए चुकाए। अब कंपनी पर सिस्टेमा का ही वर्चस्व है।
रिलायंस: स्वान पहले रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह का हिस्सा थी। बाद
में डीबी रियल्टी हावी हो गई। स्वान ने उन्हीं लाइसेंस के लिए आवेदन किया
जहां रिलायंस नहीं थी। लाइसेंस के लिए स्वान टेलीकॉम का इस्तेमाल किया।
लूप: 5 लाख की पूंजी को 8 करोड़ बताकर लाइसेंस लिए। लूप का पहले नाम
शिपिंग स्टॉप डॉट कॉम था। मालिक एस्सार वाले रुइया थे। शेयर पूंजी पांच लाख
रुपए थी, जबकि दिखाई 8 करोड़। एस्सार ने लाइसेंस हासिल करने के लिए इस
कंपनी का इस्तेमाल किया।